5G टेक्नोलॉजी क्या है | 5G टेक्नोलॉजी के फ़ायदे और नुकसान in hindi

पिछले कई सालों से डेटा traffic या डेटा consumption करीब 60% प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है. क्यों की लोग मोबाइल के अलावा और भी कई सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल करने लगे है और उसे इंटरनेट से भी जुड़ने लगे है जैसे की स्मार्ट टीवी, स्मार्ट वाच, स्मार्ट appliances आदी. और लोग ज्यादा विडियो देखना, विडियो स्ट्रीमिंग करना, ऑनलाइन गेम खेलना आदी भी पसंद कर रहे है जिससे की मौजूदा 4G नेटवर्क में load बहुत बढ़ रहा है और नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर पा रहा हैं.

इन सभी समस्या को देखकर मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर्स अब 5G टेक्नोलॉजी के ऊपर काम करना शुरु कर दिया है जिससे की नेटवर्क को ओर तेज किया जा सके जिससे की ज्यादा से ज्यादा लोग और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इंटरनेट से जुड़ सके. इस टेक्नोलॉजी की और एक खास बात यह है की इसकी मदद से नए नए टेक्नोलॉजी जैसे की Internet of things, Augmented reality , Virtual reality, Tele medicine, Machine to machine communication आदी के ऊपर भी बेहतर तरीके से काम किया जा सकता है.  

अभी के समय में बहुत सारे देशों में इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और बहुत सारे देशों में इसका infrastructure development और testing का काम भी चल रहा है. और  हमारे देश में भी इसके ऊपर काफ़ी तेजी से काम चल रहा है. और आपको जान के यह खुशी होगा की हमारे देश में भी दूरसंचार विभाग द्वारा 5G टेस्टिंग के लिए कई कंपनियों को अनुमति दे दी गई है. इसका मतलब बहुत जल्द यह पुरे देश में उपलब्ध हो जाएगा और हम इसे इस्तेमाल भी कर पाएंगे.

तो चलिए जानते है की 5G टेक्नोलॉजी या नेटवर्क क्या है, कैसे काम करता है, कौन कौन सी टेक्नोलॉजी इसमें इस्तेमाल किया गया है, 5G टेक्नोलॉजी के फ़ायदे और नुकसान आदी बहुत सारे चीजों के बारे में विस्तार से समझते है.

5G टेक्नोलॉजी क्या है in hindi

5G बेतार मोबाइल फ़ोन (wireless mobile phone) सेवा की पांचवी पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है यानी 5th Generation मोबाइल नेटवर्क है. यह एक सॉफ्टवेयर पे आधारित नेटवर्क है, जो वायरलेस नेटवर्क की speed की क्षमता और डेटा क्वांटिटी को भी बढ़ाने में मदद करता है.

यह नेटवर्क इसके पिछले सभी Generation के मोबाइल नेटवर्क यानी 1G, 2G, 3G और 4G से बहुत ही ज्यादा advanced है, क्यों कि इसमें बहुत सारे नए नए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है. जिससे यह टेक्नोलॉजी ना केबल आपको हाई स्पीड इंटरनेट और connectivity की सेवा देगा बल्कि इसमें आपको बहुत ही कम लेटेंसी (ultra low Latency), समान यूजर experience और बड़े पैमाने पर नेटवर्क की क्षमता (capacity) के साथ ही साथ अच्छी नेटवर्क कवरेज भी देगा.

यह टेक्नोलॉजी मोबाइल नेटवर्किंग में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सक्षम है. और जिस तरह से सभी देश इसको इस्तेमाल करने के लिए लगे पड़े है उसे देख कर ग्लोबल मोबाइल सप्लायर्स एसोसिएशन (GSM association) का कहना है की 2025 तक पुरे विश्व भर में करीब 170 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस टेक्नोलॉजी से जुड़ जाएंगे.

5G टेक्नोलॉजी की मदद से लगभग सभी चीजों को एक साथ इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है चाहे वह कोई मशीन हो, कोई वस्तु (object) हो या कोई उपकरण (device). जिससे की Internet of Things (IOT), Virtual reality, Self Driving car, Artificial intelligence, Multiplayer cloud gaming, Shopping with augmented reality, Remote Surgical operation जैसे टेक्नोलॉजी पर भी ओर बेहतर तरीके से काम किया जा सकता है.

क्यों कि इन सभी टेक्नोलॉजी के ऊपर काम करने के लिए बहुत fast और uniform इंटरनेट की ज़रूरत पड़ती है और जिसका latency भी ना के बराबर होना चाहिए और मौजूदा 4G नेटवर्क से यह सब संभव नहीं हैं.

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5G को किसने बनाया

5G टेक्नोलॉजी को किसी एक व्यक्ति या किसी एक कंपनी द्वारा नहीं बनाया गया है. बल्कि इसको दुनिया भर के कई अलग अलग कंपनियां और संगठनों के सहयोग से बिकसित किया गया है. और यह सभी कंपनियां और संगठनों ने मिलके अलग सा एक संगठन बनाया है जिसका नाम है  3GPP यानी 3rd Generation Partnership Project. और इस संगठन का मुख्य काम है दूरसंचार के लिए प्रोटोकॉल बिकसित करना.

इस organization के माध्यम से कोई भी 5G टेक्नोलॉजी को पढ़ सकता है और जान सकता है  की आखिर यह काम कैसे करता है और इसके आवश्यकताएं ( requirements) क्या क्या है.  

5G की स्पीड कितनी होती है

5G को लेकर लोगों में ज्यादा उत्सुकता इसकी स्पीड को लेकर है. मौजूदा 4G नेटवर्क की स्पीड करीब 100 MBPS यानी 100 MB प्रति सेकंड सेकंड है. वही दूसरी तरफ 5G में यह स्पीड करीब  1 GBPS से 10 GBPS यानी 1 GB से लेकर 10 GB प्रति सेकंड होने की अनुमान लगाया जा रहा है. इसका मतलब है यह मौजूदा 4G नेटवर्क से 10 गुना से लेकर 100 गुना अधिक तेजी से काम करेगा.

एक उदाहरण से समझे तो 3G नेटवर्क में एक 2 GB की मूवी डाउनलोड करने के लिए तक़रीबन 26 घंटे का समय लग जाता था. मौजूदा 4G में यह 6 मिनट में डाउनलोड होने लगी और अब 5G नेटवर्क में इस 2 GB की मूवी को महज़ 3.6 सेकंड में डाउनलोड किया जा सकता है. इससे पता लगाया जा सकता है की 5G कितना स्पीड होने वाला है.

5G नेटवर्क कितने देशों में है

दुनिया भर के बहुत सारे देशो ने 5G टेक्नोलॉजी के ऊपर काम करना और इस्तेमाल करना भी शुरु कर दिए है. सबसे पहले 3 अप्रैल 2019 को  साउथ कोरिया ने अपने देश में 5G टेक्नोलॉजी को लंच किया था. इसके बाद बहुत सारे देश जैसे की अमेरिका, चीन, जापान, इंग्लैंड, स्वीडन, तुर्की आदी देशो ने भी उनके वहा 5G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिए है.

और 5G टेक्नोलॉजी के लिए infrastructure की डेवलपमेंट और नेटवर्क की डिप्लॉयमेंट के मामले में इन सभी देशो में से साउथ कोरिया, चीन और अमेरिका सबसे आगे है.

ग्लोबल मोबाइल सप्लायर्स एसोसिएशन (GSA) के डाटा के मुताबिक जून 2021 तक 166 ऑपरेटर्स ने 69 देशों में कमर्शियल 3GPP-compatible 5G नेटवर्क सर्विस की शुरुआत कर दी है. और वही दूसरी तरफ 436 ऑपरेटर्स ऐसे है जो 133 देशो में 5G नेटवर्क में निबेश किये है और इसके लिए नेटवर्क की ट्रायल्स, टेस्ट और डिप्लॉयमेंट आदी कर रहे है.

भारत में 5G नेटवर्क कब तक लांच होगा

अन्य देशो की तरह भारत में भी लोग 5G नेटवर्क लंच का काफी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे है. और आपको यह जानके खुशी होगी की हमारे देश के दूरसंचार विभाग यानी Department of Telecommunication के द्वारा 4 मई 2021 को देश के चार बड़े टेलिकॉम कंपनियों को 5G नेटवर्क लंच करने की अनुमति दे दी गई है. और यह सभी कंपनियां अपने अपने स्तर पर  Infrastructure development और इसकी Network Testing का काम भी शुरु कर दिए है.

भारत में कौन कौन से कंपनी 5G की service देगी

दूरसंचार विभाग यानी Department of Telecommunication ने भारत में 5G नेटवर्क की परीक्षण के लिए दूरसंचार कंपनियों की एप्लीकेशन को मंजूरी दे दी है. और इस कंपनियों मे Bharti Airtel, Reliance Jio, Vodafone-Idea और MTNL की एप्लीकेशन को मंजूरी दि गई है.

यह सभी कंपनियां अपने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और इसकी टेस्टिंग का काम भी शुरु कर दिए है. टेस्टिंग का काम के लिए इन सभी कंपनियों को 6 महीने की समय दी गई है. टेस्टिंग ख़तम हो जाने के बाद इसकी रिपोर्ट दूरसंचार विभाग को दी जाएगी और उसके बाद पूरे देश में 5G को लागू करने की प्रक्रिया शुरू किया जाएगा.

Bharti Airtel अपने 5G का testing का काम तमिलनाडु, दिल्ली, दिल्ली NCR, कोलकाता में कर रहा है. Reliance Jio अपने 5G का testing का काम कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में कर रहा है. और सबसे खास बात यह है कि इस 5G नेटवर्क मे किसी भी चिनि कंपनियों का टेक्नोलॉजी और उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

भारत में कौन कौन मोबाइल 5G दे रहे है

जैसे जैसे 5G हमारे देश में अपना जगह बना रहा है ठीक उसी तरह बहुत सारे मोबाइल कंपनियां भी 5G नेटवर्क को सपोर्ट करने बाला मोबाइल बाज़ार में छोड़ रहे है और जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को होने बाला है.

आज के समय में हर छोटी से लेकर बड़ी कंपनी 5G को सपोर्ट करने वाला मोबाइल बाजार में छोड़ रहे है और आपको 15 हज़ार में भी 5G स्मार्ट फ़ोन देखने को मिल जाएगा. मोबाइल कंपनियां की बात करे तो Apple, Samsung, Sony, LG, Oneplus, Oppo, Vivo, Xiomi, Realme, Motorolla, Nokia आदी बहुत सारे कंपनियां बहुत सारे models निकाल चुके है जो 5G को सपोर्ट करता है.   

5G टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है

वायरलेस संचार प्रणाली हवा (air)  के माध्यम से डेटा या इनफार्मेशन का आदान प्रदान करने के लिए रेडिओ फ्रीक्वेंसी (Radio frequency) का इस्तेमाल करती है, जिसको हम Spectrum के नाम से भी जानते है.

अभी तक जितने भी जनरेशन की नेटवर्क आये है वह सभी इसी रेडिओ फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करते है डेटा का आदान प्रदान करने के लिए. पर यह सभी यानी 1G, 2G, 3G और 4G   कम रेडिओ फ्रीक्वेंसी (low radio frequency) बाले spectrum का इस्तेमाल करते है. जिससे इनकी नेटवर्क की रेंज बहुत होती है पर स्पीड बहुत कम होता है.

पर 5G नेटवर्क हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के ऊपर काम करता है, जिससे की इसका रेंज बहुत ही कम होता है पर स्पीड बहुत ही ज्यादा. इसलिए इसमें बहुत सारे छोटे छोटे टावर की ज़रूरत पड़ती है और जो छोटे छोटे एरिया को service देते है. और उस service एरिया को Cell कहा जाता है.

5G नेटवर्क में तीन तरह का radio frequency band यानी spectrum का इस्तेमाल किया गया है. क्यों की मोबाइल में इतना हाई स्पीड इंटरनेट का कोई ज़रूरत नहीं है. पर बहुत सारे ऐसे टेक्नोलॉजी अब सामने आ रहे है जिसके लिए हाई स्पीड इंटरनेट की ज़रूरत पड़ेगी. इसलिए ज़रूरत के हिसाब से अलग अलग क्षेत्र के लिए अलग अलग frequency band का इस्तेमाल किया जाएगा.

5G टेक्नोलॉजी कैसे काम करती हैं उसे समझने के लिए हमें पहले spectrum क्या होता है उसको समझना पड़ेगा. उसके बाद 5G में इस्तेमाल होने वाली frequency bands और अंत में यह कौन कौन सी टेक्नोलॉजी के ऊपर यह काम करता है उसको समझना होगा. तो चलिए एक एक करके समझते है

5G spectrum क्या है

Spectrum एक तरह का frequency होता है. जिस frequency में कोई भी नेटवर्क यानी 1G, 2G, 3G, 4G काम करता है और जिसको सरकार के द्वारा आबंटन किया जाता है. जैसे की मौजूदा 4G नेटवर्क 600 MHz, 700 MHz, 1.7 GHz, 2.1 GHz, 2.3 GHz, 2.5 GHz इन सभी spectrum के ऊपर काम कर रहा है. (MHz यानी मेगाहर्ज़ और GHz यानी गिगाहर्ज़).

हमारे देश में spectrum को  दूरसंचार विभाग यानी Department of Telecommunication के द्वारा spectrum की आबंटन किया जाता है. 5G में तीन तरह का फ्रीक्वेंसी band या spectrum का इस्तेमाल किया जाता है जैसे की Low band (600 MHz – 850 MHz), Medium band (3.3 GHz – 3.6 GHz) और High band (24.25 GHz – 28.5 GHz.)

5G spectrum को समझ ने से पहले हमें Spectrum क्या होता है उसे समझना होगा. Spectrum एक तरह का विकिरण ऊर्जा जिसे Electromagnetic radiation कहा जाता है. जो हमारे पृथ्वी को चारों ओर से घेरी रहती है और इस ऊर्जा यानी electromagnetic radiation का मुख्य स्रौत सूर्य है. यह ऊर्जा हमारे पृथ्वी के नीचे  दबी रेडियोएक्टिव तत्वों यानी radioactive elements से भी पैदा होता है और इसके साथ ही साथ तारों और आकाशगंगाओं से भी पैदा होता है. यह रेडिएशन हमें कोई नुकसान नहीं पहुचाती है पर इसी ऊर्जा के माध्यम से हम रेडियो, टी.वी, मोबाइल जैसे उपकरणों को चला पाते है.

अब जानते है की इस spectrum को कैसे दूरसंचार क्षेत्र में उपयोग किया जाता है. किसी भी  स्पैक्ट्रम का ब्याबसायिक उपयोग इसकी तरंगो (wave) की लंबाई से निर्धारित होता है. सबसे लंबी तरंग Radio wave spectrum की होती है और उसीका इस्तेमाल दूरसंचार क्षेत्र यानी telecom sector में किया जाता है.

5G नेटवर्क का एक खास बात यह है की इसे किसी एक frequency में ब्रॉडकास्ट नहीं किया जाता बल्कि अलग अलग कामों के लिए अलग अलग frequencies का इस्तेमाल किया जाता है. क्यों की यह सिर्फ मोबाइल ब्रॉडबैंड सेबा के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि और भी बहुत सारे advanced कामे में इसको इस्तेमाल किया जाने बाला है.

क्यों की frequency और wavelength विपरीत समानुपाती (inversely proportional) है, इसलिए frequency जितना ज्यादा होगा उसका रेंज उतना कम होगा. और जैसे की 5G नेटवर्क में high frequency radio wave का इस्तेमाल होता है इसलिए इसका नेटवर्क का रेंज भी कम होता है. इसलिए इस नेटवर्क बहुत सारे छोटे छोटे antenaa की ज़रूरत पड़ती है.

5G Spectrum में मुख्यत तीन तरह का frequency bands का इस्तेमाल किया जाता है जैसे की Low band 5G, Mid band 5G और High band 5G. और इन तीनों band के अपने उपयोग और सीमाएं (limitations) है.

  • Low band 5G – Low band 5G नेटवर्क 600-850 MHz (मेगाहर्ट्ज़) रेंज में काम करता है और 50-250 MBPS तक का स्पीड देता है. इस रेंज में मौजूदा 4G नेटवर्क भी काम कर रहा है. पर यह band मौजूदा 4G नेटवर्क से थोड़ा तेज है. 
  • Mid band 5G – Mid band 5G नेटवर्क 2.5-3.7 GHz (गीगाहर्ट्ज़) रेंज में काम करता है और 100-900 MBPS तक का स्पीड देता है. क्यों कि Mid band थोड़ा उँचा frequency का इस्तेमाल करता है इसलिए इसका रेंज भी कम होता है. और आने वाले समय में ज्यादातर क्षेत्रों में Mid band 5G नेटवर्क का इस्तेमाल देखने को मिलेगा.
  • High band 5G – सही मायने में High band 5G ही असली 5G है जिसमें आपको इसकी असली स्पीड का पता चलता है. High band 5G नेटवर्क 25-39 GHz (गीगाहर्ट्ज़) रेंज में काम करता है और 1-10 GBPS तक का स्पीड देने में सक्षम है. इस रेंज की wave को मिलीमीटर वेव (Millimeter wave) भी कहा जाता है. क्यूं कि यह band बहुत high frequency का इस्तेमाल करता है इसलिए इसका रेंज बहुत ही ज्यादा कम है. इसलिए इस band का इस्तेमाल सभी जगह में देखने को नहीं मिलेगा सिर्फ शहरी क्षेत्रों में ही देखने को मिलेगा और कुछ खास कामों के लिए उपयोग किया जाएगा.

5G नेटवर्क कौन-कौन सी टेक्नोलॉजी के ऊपर काम करता है

5G नेटवर्क बहुत सारे टेक्नोलॉजी से मिलकर काम करता है जो कुछ इस प्रकार है

1- मिलीमीटर वेव (MM Wave) – इस तकनीक की मदद से डेटा को बहुत तेजी से ट्रांसफर किया जा सकता है. इसलिए 5G में 1-10 GBPS तक की स्पीड संभव है. क्यों की मोबाइल नेटवर्क में frequency जितना अधिक होगा डेटा उतना तेजी से ट्रांसफर होगा. मिलीमीटर वेव का ज्यादातर इस्तेमाल satellite और radar system में किया जाता है. मिलीमीटर वेव 30-300 GHz की frequency में ब्रॉडकास्ट किया जाता है. अब नेटवर्क प्रोवाइडर्स ज्यादा स्पीड के लिए इस फ्रीक्वेंसी यानी मिलीमीटर वेव के ऊपर काम कर रहे है.  

मौजूदा 4G नेटवर्क 6 GHz के नीचे वाले frequency band में काम कर रहा है जो की ज्यादा स्पीड और लोड लेने में सक्षम नहीं है. जिसे देख कर नेटवर्क प्रोवाइडर्स अब 6 GHz से भी ज्यादा frequency band यानी मिलीमीटर वेव का इस्तेमाल करने के ऊपर काम कर रहे है. पर अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल साउथ कोरिया, चीन, अमेरिका जैसे देशों में किया जा रहा है.

2- स्मल सेल्स (Small cells) – स्मल सेल्स 5G नेटवर्क में Tower की तरह काम करता है. 5G में मिलीमीटर वेव का इस्तेमाल किया जाता है जिसका range बहुत ही कम यानी करीब 300 मीटर तक का होता है. और इसका signal भी बिल्डिंग, पेड़ पौधे, बारिश के कारण बहुत ज्यादा प्रभाबित होता है यानी ठीक तरह से काम नहीं कर पता. इसलिए 5G नेटवर्क की coverage और signal को ठीक तरह से काम करने के लिए पुरे क्षेत्र में बहुत सारे स्मल सेल्स को एक दूसरे के बहुत ही नजदीक लगाया जाता है. जो आकर (size) में बहुत छोटे होते है और टावर की तरह काम करते है. जिससे 5G की स्पीड और coverage बनी रहती है.

3- मैसिव मल्टीप्ल इनपुट एंड मल्टीप्ल आउटपुट (Massive MIMO) – MIMO टेक्नोलॉजी 4G नेटवर्क में भी काम करता है. पर इस तकनीक को ओर थोड़ा improve करके 5G नेटवर्क में इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है जिसको Massive MIMO कहा जाता है.

इस टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा यूजर वाले क्षेत्र में ट्रैफिक को बेहतर तरीके से मैनेज करने में मदद करता है. जिससे की टावर की स्पीड और कवरेज बनी रहती है. इसके लिए MIMO तकनीक एक टावर में बहुत सारे antennas का इस्तेमाल करता है. जहां 4G नेटवर्क में MIMO टेक्नोलॉजी 12 एंटीना को सपोर्ट कर सकता है वही 5G नेटवर्क में Massive MIMO टेक्नोलॉजी 100 से भी ज्यादा एंटीना को सपोर्ट कर सकता है.

इसलिए मौजूदा 4G नेटवर्क में इस्तेमाल हो रहे MIMO सिस्टम से 5G नेटवर्क का Massive MIMO करीब 10 गुना अच्छे से काम करता है.

4- फुल डूप्लेक्स (Full duplex) – इस तकनीक की मदद से एक ही frequency band में एक साथ और एक ही समय में डेटा को भेजा (transmit) और रिसीव भी किया जा सकता है. जिससे की 5G नेटवर्क की capacity बहुत बढ़ जाता है. आम तौर पर Radio waves को एक ही frequency band में एक साथ travel करना मुश्किल हो जाता है पर इस तकनीक की मदद से यह कर पाना संभव है.

5- बीम फॉर्मिंग (Beam forming) – यह एक ऐसा तकनीक है जो Cellular base station में ट्रैफिक और signal को मॉनिटर करने में मदद करता है. जैसे की 5G नेटवर्क की signal कोई भी objects की वजह से block होने का खतरा रहता है. इसलिए यह तकनीक एक यूजर के लिए कौन सी सबसे efficient data delivery route होगा यह सुनिश्चित करना और उसी दिशा में ही signal को भेजने में मदद करता है. मतलब signal को चारों तरफ ना फैला के signal को एक beam की तरह यूजर वाले दिशा में भेजने का काम करता है.

5G का उपयोग क्या क्या है

1- Internet of things (IOT) – Internet of things उन उपकरणों का समूह है, जो हमारे रोजमर्रा कामों में मदद करते है जैसे की electronic gadgets (mobile, tablet, smart watch, TV), home appliances (refrigerator, AC), wireless sensors आदी और जिनकों हम इंटरनेट से कंट्रोल भी कर सकते हैं.

जैसे जैसे समय बीत रहा हैं यह सभी उपकरण भी इंटरनेट से जुड़ रहे है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 तक करीब 230 करोड़ IOT devices इंटरनेट से जुड़ने वाले है. जिससे इन सभी को अच्छे तरह से मैनेज करने के लिए हाई स्पीड और ज्यादा capacity वाले नेटवर्क की ज़रूरत पड़ने वाली है. इसलिए 5G नेटवर्क से ही इन सभी को अच्छी तरह मैनेज किया जा सकता है.

2- Health care – स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी 5G बड़ी बदलाव लाने में सक्षम है. क्यों की Telemedicine टेक्नोलॉजी की मदद से लोग घर से ही डॉक्टरों से परामर्श ले सकते है और , Remote Surgical operation जैसी टेक्नोलॉजी की मदद अब डॉक्टरों भी दूसरी जगह से मरीजों को देखना और यहाँ तक की ऑपरेशन भी कर सकते है. और यह सभी अल्ट्रा लो लेटेंसी वाले हाई स्पीड इंटरनेट से भी संभव है.

3- AR, VR headsets and cloud gaming – Augmented reality (AR) और Virtual reality (VR) जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से घर बैठे Virtual world में गेम खेलना, शौपिंग करना, पढाई करना आदी जैसे काम किया जा सकते है और यह सभी हाई स्पीड 5G नेटवर्क से ओर भी बेहतर तारीकी से किया जा सकता है.

इसके अलावा गेमिंग इंडस्ट्री भी पूरी तरह बदल जाएगा क्यों की अब गेम्स को आपकी कंप्यूटर, मोबाइल में डाउनलोड करना नहीं पड़ेगा. क्यों की Cloud based gaming टेक्नोलॉजी की मदद से गेम को बिना डाउनलोड किये खेला जा सकता है.

Ready player One मूवी में AR and VR टेक्नोलॉजी को बहुत अच्छे से दिखाया है आप चाहे तो देख सकते है.

4- Agriculture – खेती की क्षेत्र में भी 5G बहुत बड़ा बदलाव लाने में सक्षम है. इस टेक्नोलॉजी की मदद से स्वचालित कृषि उपकरणों (automated farming equipments)  को कही से भी संचालित किया जा सकता है. इसके अलावा खेती की निगरानी के लिए Drone का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. और जो उच्च गुणवत्ता बाले विडियो भेजने में भी सक्षम होगा जिससे कही से भी फसल का मैदान (Crop field), पशु (livestock), स्वचालित कृषि उपकरणों को निगरानी और संचालित किया जा सकता है.

5- Public safety – 5G टेक्नोलॉजी की मदद से Surveillance करना ओर भी आसान हो जाएगा. जो की किसी भी smart city के लिए एक महत्वपूर्ण काम है. इस टेक्नोलॉजी की मदद से 24*7 अल्ट्रा हाई डेफिनिशन और 365 डिग्री विडियो रिकॉर्ड किया जा सकता है.

6- Automotive – 5G टेक्नोलॉजी की मदद से C-V2X (Cellular vehicle to everything) जैसी टेक्नोलॉजी ओर भी बेहतर तरीके से काम कर सकता है. C-V2X टेक्नोलॉजी की मदद से Self driving cars एक दूसरे से यानी vehicle to vehicle इनफार्मेशन शेयर कर सकते है. इसके अलावा यह Self driving cars ओर भी कई तरह के इनफार्मेशन शेयर कर सकते है जैसे की vehicle to infrastructure, vehicle to pedestrian, vehicle to network आदी.

इसके साथ ही साथ Fleet management जैसे टेक्नोलॉजी भी 5G नेटवर्क इस्तेमाल करके बहुत अच्छी तरह से काम कर सकता है. जिससे की automated vehicle की डेटा जैसे GPS positioning, trip time, speed, seat belt use, fuel consumption, engine status, vehicle fault आदी को real time में मोनिटर किया जा सकता है.

इन सभी के अलावा और भी बहुत सारे टेक्नोलॉजी है जो 5G नेटवर्क को इस्तेमाल करके बहुत अच्छी तरह से काम कर सकता है जैसे की   

  • Industry मैन्युफैक्चरिंग ऑटोमेशन, रिमोट रोबोटिक कंट्रोल
  • Artificial intelligence and Robotics
  • Finalcial services
  • Education
  • Retail आदी.

Advantages of 5G network

  • इस नेटवर्क की मुख्य फ़ायदा इसकी फास्टेस्ट कनेक्टिविटी, स्पीड और low लेटेंसी है.
  • इस नेटवर्क में छोटे छोटे टावर यानी Cell का इस्तेमाल होने के कारण सभी यूजर की स्पीड एक समान बनी रहती है.
  • इस नेटवर्क में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक devices एक साथ जुड़ सकते है. जिससे इसकी capacity यानी यूजर को हैंडल करने की क्षमता बहुत ज्यादा है.
  • 5G में virtual network यानी network slicing लागू करने की भी अनुमति देता है. जिससे अलग अलग कामों के लिए अलग अलग नेटवर्क का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • केबल इंटरनेट की अल्टरनेटिव रूप में सेलुलर 5G इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है. जिससे लोगो को कही से भी काम करने की आज़ादी मिलेगी. जो की केबल इंटरनेट जितना स्पीड देने में सक्षम है.

5G में क्या क्या कमी है | Disadvantages of 5G network

5G के बहुत सारे फायदे है पर इसके कुछ limitaion भी है जैसे की

  • Range or Coverage issue – क्यों कि 5G नेटवर्क में high frequency wave का इस्तेमाल होता है इसलिए इसका रेंज बहुत ही कम रहता है. यह बताया जा रहा है की इसकी नेटवर्क की coverage लगभग 300 मीटर या 1000 फीट तक ही होगी. जो मौजूदा 4G की नेटवर्क की coverage की 2 प्रतिशत की बराबर है.
  • Connectivity issue – मिलीमीटर वेव की सबसे बड़ी कमी यह है की यह किसी भी obstacles यानी वस्तु या चीज़ जैसे की दीवार, पेड़ पौधे, को भेद नहीं सकता जिससे conectivity या signal में बहुत समस्या होगा. यहां तक की बारिश की वजह से भी इसकी connectivity या signal ठीक तरह से काम नहीं कर पाता है.
  • Initial rollout cost – 5G नेटवर्क की infrastructure मौजूदा 4G नेटवर्क की infrastructure से बहुत ही ज्यादा अलग है. पहले इसकी spectrum का cost बहुत ही ज्यादा है. 5G नेटवर्क में high wavelength spectrum का इस्तेमाल किया जाता है जिससे की इसका रेंज बहुत काम रहता है. इसलिए 5G नेटवर्क को काम में लाने के लिए बहुत सारे छोटे छोटे टावर की ज़रूरत पड़ती है और इसकी खर्चे भी बहुत ज्यादा होता है. और इसकी अन्य infrastructure development और maintainance में भी बहुत खर्चा होता है, इसलिए इसकी सीधा असर ग्राहकों के ऊपर पड़ेगा और इसकी 5G plan भी बहुत महंगा होगा. 
  • Digital divide – मौजूदा 4G नेटवर्क की coverage या service देश के सभी जगह में देखने को मिल जाता है चाहे वह गाँव हो या सहर. पर 5G नेटवर्क में ऐसा नहीं होगा क्यों की इसका infrastructure और maintainance की लागत बहुत ही ज्यादा है. इसलिए इसको पहले ज्यादा भीड़ वाले सहरी क्षेत्रों में सर्विस दी जाएगी फिर बाद में सभी जगह में सर्विस दिया जाएगा. जिससे digital divide की समस्या पैदा होगा, जहां एक ओर लोग इस service का लाभ उठा रहे होंगे तो दूसरी तरफ लोग इस service से वंचित रहेंगे. यह समस्या सिर्फ हमारे देश में नहीं है बहार के देशो में भी यही समस्या है.
  • Mismach in Download and Upload speed – 5G नेटवर्क में किसी भी चीज़ को बहुत ही जल्द डाउनलोड किया जा सकता है जो की मौजूदा 4G नेटवर्क से कई गुना ज्यादा है. पर इस नेटवर्क की एक problem है की इसकी अपलोड स्पीड डाउनलोड की तुलना में बहुत ही काम है जो की करीब 100 MBPS यानी 100 MB प्रति सेकंड तक का है.
  • New handset requirement – 4G हेंडसेट में भी 5G नेटवर्क को चलाया जा सकता है. पर 5G की स्पीड पाने के लिए नए 5G हैंडसेट की ज़रूरत पड़ेगी. और इसलिए आज कल के सभी छोटे बड़े मोबाइल कंपनियां बाज़ार में 5G हैंडसेट छोड़ रहे है.
  • Security and Privacy issue – सेलुलर एक्सपर्ट्स का मानना है की 5G से सिक्यूरिटी और प्राइवेसी को लेकर समस्या पैदा होगा. क्यों की इस टेक्नोलॉजी की मदद से लोगो को बहुत ही सठीक तरीके से ट्रैक्ट किया जा सकता है. इसके अलावा attackers or hacker सब्सक्राइबर की आइडेंटिटी reveal करना, outgoing calls, text message sent को देख पाना आदी कर सकता है. पर क्यों कि यह एक नया टेक्नोलॉजी है इसलिए इसके ऊपर ज्यादा research नहीं हुआ है जो की होना बाकि है.

4G और 5G में अंतर क्या है | 4G vs 5G

इन दोनोमे बहुत सारा अंतर है एक एक करके सभी को जानते है

1- स्पीड (Speed) – इन दोनों नेटवर्क में सबसे बड़ा अंतर है स्पीड को लेकर. मौजूदा 4G नेटवर्क की स्पीड की बात करे तो इसमें 100 MBPS यानी 100 MB प्रति सेकंड तक का है. वही दूसरी तरफ 5G नेटवर्क की स्पीड की बात करे तो इसमें 10 GBPS यानी 10 GB प्रति सेकंड तक का होगा, जो की मौजूदा 4G नेटवर्क से करीब 100 गुना तेजी से काम करेगा.  

2- लेटेंसी (Latency) – मोबाइल नेटवर्क में देरी को मापने के लिए लेटेंसी का इस्तेमाल किया जाता है. एक उदाहरण से समझे तो जब हम एक मैसेज भेजते है तो वह मैसेज send होने से लेकर दूसरे व्यक्ति के मोबाइल में receive होने तक का समय को लेटेंसी कहा जाता है. लेटेंसी को आमतौर पर मिलिसेकंड में मापा जाता है.

4G नेटवर्क में latency करीब 50 मिलिसेकंड का है वही दूसरी तरफ 5G नेटवर्क में latency 1 मिलिसेकंड का है या फिर कहे तो ना के बराबर है.

3- Capacity – 4G नेटवर्क में एक साथ बहुत सारे यूजर connect या जुड़ जाने पर नेटवर्क कांजेशन (Network congestion) की समस्या पैदा होता है और signal होने पर भी नेटवर्क ठीक तरह से काम नहीं कर पाता. यह इसलिए होता है क्यों की इसकी नेटवर्क की capacity बहुत कम होती हैं, जो की  करीब 4 हज़ार यूजर प्रति स्क्वायर किलोमीटर की होती है.

वही दूसरी तरफ 5G नेटवर्क में यह सभी समस्या देखने को नहीं मिलेगा क्यों की इसकी capacity बहुत ही ज्यादा है और एक साथ बहुत सारे यूजर को भी हैंडल करने में सक्षम है. इसकी capacity करीब 10 लाख यूजर या devices प्रति स्क्वायर किलोमीटर तक होगी.

4- Bandwidth – 4G और 5G नेटवर्क में अंतर इसलिए है क्यों की इन दोनों नेटवर्क अलग अलग bandwidth का इस्तेमाल करते है. जिस कारण 5G नेटवर्क 4G नेटवर्क से बेहतर तरीके से काम करता है.4G नेटवर्क थोड़ा कम या low frequency का spectrum इस्तेमाल करता है जो की 600 MHz से 2.5 GHz तक का होता है. वही दूसरी तरफ 5G नेटवर्क तीन तरह का हाई frequency band का इस्तेमाल करता है. जो की 600 MHz से 39 GHz तक का होता है.

क्या 5G स्वस्थ्य को प्रभावित करेगा और 5G से क्या क्या नुकसान है

5G टेक्नोलॉजी को पिछले जनरेशन की नेटवर्क से बहुत तेज और अधिक efficient बनाने के लिए इसमें high frequency radio waves का इस्तेमाल्किया गया है जिससे 5G नेटवर्क बहुत तेज और अधिक efficient तो बन गया पर इसमें से radiation भी ज्यादा निकलने लगा जिसे electromagnetic radiation कहा जाता है.

और बहुत लोगो का मानना है की इस रेडिएशन की वजह से ब्रेन कैंसर, इनफर्टिलिटी, हार्ट ट्यूमर जैसी बीमारी होती है. पर इसका सही उत्तर अभी तक किसी के पास नहीं है, क्यों की इसके ऊपर अभीतक जितने भी research हुए है वह सभी इस बात को पूरी तरह साबित नहीं कर पाए है की रेडिएशन से स्वास्थ्य पर कुछ नकारात्मक प्रभाब पड़ता है. इसी तरह 5G नेटवर्क की टेस्टिंग की वजह से पक्षियों की मरनें की भी खबर आई थी पर वह सभी झूट निकले थे.

इस पर WHO का भी कहना है की यह रेडिएशन से Tissue heating जैसी समस्या दिखाई देती है जो Carcinogenic हो सकती है यानी कैंसर पैदा कर सकता है. पर अभी तक इसके ऊपर research जारी है और कोई भी adverse health effects सामने नहीं आए है. 

अगर हम scientifically बात करे तो दो तरह के रेडिएशन होते है एक Non ionizing (Micro wave, Radio wave) और दूसरा Ionizing ( X rays, Gama rays, UV rays). Non ionizing के अन्दर Micro wave, Radio wave आते है जिनके wave की frequency कम होता है क्यों की इनकी Wavelength ज्यादा होता है. इसलिए इसकी penetration यानी शरीर के अन्दर ज्यादा घुस नहीं पाता.

वही दूसरी तरफ X rays, Gama rays, UV rays का wave की frequency ज्यादा होता है जिस कारण वह शरीर के अन्दर तक घुस जाते है और शरीर के लिए हानिकारक भी होते है.   

इसलिए researchers का मानना है की जो radio frequency का इस्तेमाल mobiles phones, telecommunication base station, और wireless network में किया जाता है वह बहुत ही कम होता है क्यों की high frequency radiation शरीर के ज्यादा अन्दर तक नहीं जा पता है. इसलिए इसका प्रभाव भी शरीर के ज्यादा नहीं पड़ता. इसलिए इस के ऊपर अधिक research करने के बाद ही पता चलेगा की इससे शरीर पर कितना नुकसान होता है.

5G का भबिष्य  

अभी का जो समय है वह इंटरनेट का है. मतलब जिस देश का इंटरनेट का इंफ्रास्ट्रक्चर जितना मजबूत वह उतना सक्तिशाली है. क्यों की आज कल लोग अपने सभी कामों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे है. और धीरे धीरे सभी चीजें इंटरनेट से जुड़ रही है. जिस कारण इन सभी को अच्छी तरह से मैनेज करने के लिए और भी हाई स्पीड और हाई एफिशिएंसी वाली इंटरनेट की ज़रूरत पड़ रही है.

2019 में जहां एक व्यक्ति एक महीने में औसतन 2.9 GB डेटा consume कर रहा था वह अब 2020 आते आते औसतन 3.6 GB डेटा consume कर रहा है. और यह माना जा रहा है की 2022 तक यह 11 GB तक हो जाएगा. और 2013 में पूरी दुनिया में करीब 260 करोड़ इंटरनेट यूजर थे 2021 में वह अभी बढ़ कर 466 करोड़ यूजर हो गए है. इससे आप अंदाज लगा सकते है की इंटरनेट के ऊपर लोग कितने निर्भर है.  

इन सभी चीजों के लिए मौजूदा 4G नेटवर्क पर्याप्त नहीं है क्यों की इसके बहुत सारे limitation है जैसे की स्पीड, कवरेज, एफिशिएंसी, कापासिटी आदी. इसलिए सभी देश अब 5G के ऊपर शिफ्ट कर रहे है. जो की ना केबल स्पीड, कवरेज, एफिशिएंसी, कापासिटी देगा बल्कि इससे और भी कई नई नई टेक्नोलॉजी के ऊपर काम करने के लिए platform देगा.

और 5G टेक्नोलॉजी को लेकर जितने भी अफवाह फैल रही है वह समय के साथ पता चल जाएगा. पर अभी सभी देश अपने अपने देशो में 5G को लाने के लिए पूरी तरह लगे पड़े है. इसलिए 5G टेक्नोलॉजी की future बहुत अच्छी है, जो भबिष्य में सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा इसमें कोई शक नहीं.

मुझे आशा हैं की मेंरे द्वारा लिखा गया यह पोस्ट जिसका शीर्षक हैं “5G टेक्नोलॉजी या नेटवर्क क्या है और इसके फ़ायदे और नुकसान in hindi” आप लोगों को ज़रूर अच्छा लगा होगा. अगर आपको इस जैसा कोई दूसरे Topic के बारे में जानना हो तो आप मुझे comment या ई.मेंल के जरिए बता सकते हैं मुझे उसे जानने में बहुत खुशी होगा. और अगर आपको यह article अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ या facebook, instagram में शेयर करना न भूले.

यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद, आप का दिन शुभ हो.

ई.मेल  – hindimation@gmail.com

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