ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या हैं in hindi

अगर आप क्रिप्टोकरेंसी जैसे की Bitcoin, Ethereum, Dogecoin आदी में थोड़ा बहुत रूचि रखते हैं तो आप Blockchain के बारेमें भी ज़रूर सुना होगा. क्यों की यह दोनों आपस में एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं. बहुत सारे लोग bitcoin और blockchain एक जैसा मान लेते हैं, पर ऐसा नहीं हैं. क्यों की Bitcoin एक तरह का डिजिटल करेंसी हैं और वह जिस तकनीक के माध्यम से काम करता हैं उसे ब्लॉकचेन तकनीक कहा जाता हैं.

आज कल की सभी डिजिटल करेंसी इस तकनीक में माध्यम से काम करती हैं क्यों की ब्लॉकचेन एक ऐसा platform हैं जहां इन सभी क्रिप्टोकरेंसीयों की लेन-देन की हिसाब को डिजिटल तरीके से सुरक्षित रुप में रखा जाता हैं, जिसे न तो कभी बदलाया जा सकता हैं ना कभी हैंक किया जा सकता हैं.  

आज के समय में ब्लॉकचेन ब्लॉकचेन तकनीक को एक बहुत ही क्रांतिकारी तकनीक माना जा रहा हैं. क्यों की इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रिप्टोकरेंसीयों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका इस्तेमाल बहुत सारे अलग अलग क्षेत्र में भी हो रहा हैं जैसे की वित्तीय, शैक्षणिक, मैन्युफैक्चरिंग आदी. इसलिए विश्व के सभी बड़े बड़े बैंक, कंपनियां, सरकारे इसके ऊपर दिलचस्पी दिखा रहे हैं और इसके ऊपर काम भी कर रहे हैं.  

जिस तरह हम कई दशकों से World wide web को  Internet of Information के रुप में देख रहे हैं (यानी जानकारी या सूचना का स्रोत मान रहे हैं) ठीक इसी तरह अब हम ऐसे युग या समय में प्रबेश कर रहे हैं जहां ब्लॉकचेन तकनीक को लोग Internet of Trust और Internet of Value के रुप में देख रहे हैं.

तो चलिए इसके बारेमे विस्तार और आसान तरीके से समझते हैं की आखिर ब्लॉकचेन हैं क्या और ब्लॉकचेन तकनीक काम कैसे करता हैं. इसके फायदे और नुकसान आदी के बारेमे भी एक एक करके जानते हैं.

Blockchain Image
Blockchain

ब्लॉकचेन तकनीक क्या हैं

ब्लॉकचेन का मतलब हैं एक तरह का Digital Ledger यानी डिजिटल बही खता हैं. जहां डिजिटल करेंसीयो जैसे की Bitcoin का लेन-देन यानी Transactions का स्थायी हिसाब या रिकॉर्ड रखा जाता हैं, जो पूरी तरह से सुरक्षित और अपरिवर्तनीय होता हैं.

Blockchain Technology in hindi

जिस तरह एक दुकानदार अपने दुकान में होने वाली सभी लेन-देन को अपने खाता में एक पन्ने के बाद दूसरे पन्ने में लिख के रखता हैं, ठीक इसी तरह ब्लॉकचेन में भी लेन-देन के हिसाब या रिकॉर्ड को ब्लॉक में रखा जाता हैं. जहां हर एक ब्लॉक में कई सारे लेन-देन का हिसाब रखा जाता हैं, जो आपस में एक के बाद एक जुड़े चले जाते हैं और ब्लॉक की एक लंबी श्रृंखला  यानी Chain बनती चली जाती हैं, जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता हैं.

ब्लॉकचेन के हर एक ब्लॉक में यह चार चीजें ज़रूर होती हैं जैसे की पिछले ब्लॉक का हैंश (Hash) सूचक, समय चिन्ह (timestamp), लेन-देन की एक सूचि और उस ब्लॉक का हैंश (Hash) सूचक. और यह सभी ब्लॉक क्रिप्टोग्राफी अल्गोरिथम (cryptographic algorithm) की मदद से सुरक्षित तरीके से ब्लॉकचेन की नेटवर्क में रहते हैं.

ब्लॉकचेन जितनी लंबी होती जाएगी (मतलब ब्लॉकचेन सिस्टम में जितने लोग जुड़ते चले जाएंगे उतना transaction होगा और जितना transaction होगा उतना नया नया ब्लॉक बनती चली जाएगी) वह उतना सुरक्षित होता जाएगा जिससे की इसको हैंक करना, लेन-देन की डाटा को बदलना या किसी भी ब्लॉक को हटाना या उल्टा करना आदी न मुमकिन हो जाता हैं. जिससे की यह टेक्नोलॉजी ज्यादा सुरक्षित और पारदर्शी के साथ काम करता हैं.

ब्लॉकचेन तकनीक को Distributed ledger technology (DLT) के रूप में भी जाना जाता हैं. क्यों की इसका decentralized यानी विकेन्द्रीकृत डेटाबेस को इसकी नेटवर्क में स्थित बहुत सारे कंप्यूटरों के द्वारा संचालित किया जाता हैं, जिसे Node कहा जाता हैं.

ब्लॉकचेन के सिस्टम में ऐसे बहुत सारे Node मौजूद हैं. जब एक transaction होता हैं तब इसका जानकारी ब्लॉकचेन के नेटवर्क में स्थित सभी कंप्यूटर यानी Node तक चली जाती हैं. और जब उन nodes के द्वारा इस transaction को स्वीकृति दे दिया जाता हैं तब उस  transaction को डिजिटल बही खाता में रिकॉर्ड करके रखा जाता हैं.   

ब्लॉकचेन तकनीक की शुरुआत कब और किसने की थी

सन 2008 में सतोशी नाकामोटो (Satoshi Nakamoto) नामक एक व्यक्ति या एक संगठन ने “बिटकॉइन: ए पीयर टू पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम” नामक एक वाइट्पेपर जारी किया था. जिसमे तकनीकी विवरणों के साथ एक भुगतान प्रणाली के बारेमे बताया गया था, जो व्यक्तियों को किसी भी थर्ड पार्टी यानी मध्यस्थ वित्तीय संस्थान को शामिल किए बिना लेन-देन करने की अनुमति देगा. और इस तरह 2009 में Bitcoin की सार्वजनिक तौर पे शुरुआत हुई और जिस तकनीक के साहारे इसे संचालित किया गया उसे ब्लॉकचेन तकनीक कहा गया.

सबसे खास बात यह हैं की अभी तक Satoshi Nakamoto के बारेमे किसी को पता नहीं चल पाया हैं. पर उनके द्वारा बताया गया यह तकनीक की मदद से बहुत सारे क्रिप्टोकरेंसी decentralized यानी बिकेंद्रिकृत और peer to peer तरीके से काम कर रहा हैं. और इस बात में कोई शक नहीं की आने बाले समय में इस तकनीक का इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी के साथ ही साथ अन्य कई जगह में भी किया जाएगा.

ब्लॉकचेन तकनीक कैसे काम करता हैं in hindi

ब्लॉकचेन तकनीक मुख्यत तीन अलग अलग तकनीकों का एक संयोजन हैं जैसे की

  1. Cryptographic keys – Public key and Private key
  2. A Distributed peer-to-peer network
  3. Blockchain Protocol or Programme

ब्लॉकचेन में होने बाली  सभी लेन-देन को ब्लॉकचेन में जुड़े जाने से पहले बहुत सारे steps यानी चरणों से गुजरना पड़ता हैं. तो बिना देरी किये विस्तार से जानते और समझते हैं उन सभी steps के बारेमे की आखिर ब्लॉकचेन काम कैसे करता हैं और इसमें लेनदेन किस प्रकार से किया जाता हैं  

Step-1 जब दो व्यक्ति आपस में लेनदेन करना चाहते हैं, तब उनको Cryptographic key की ज़रूरत पड़ती हैं, जो दो तरह के होती हैं, एक Public key और दूसरा Private key. हर व्यक्ति के पास उसका खुद का दोनों key यानी कुंजी होती हैं और जिसकी मदद से उस व्यक्ति को एक सुरक्षित डिजिटल पहचान मिलती हैं.

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में इस डिजिटल पहचान को डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) के रूप में जाना जाता हैं और इसका उपयोग लेनदेन को अधिकृत (authorize) और नियंत्रित (controll) करने के लिए किया जाता हैं.

Step-2 जब वह दोनों व्यक्ति लेनदेन के लिए सहमति हो जाते हैं तब इस लेनदेन को प्रतिनिधित्व (representing) करने बाला एक ब्लॉक बन जाता हैं और उस ब्लॉक को chain यानी श्रृंखला में जोड़ने से पहले इसे अधिकृत (authorized) या अनुमोदित (approved) किया जाता हैं.

Step-3 क्यों की ब्लॉकचेन विकेन्द्रीकृत (decentralized) तरीके से काम करता हैं, तो इसे अधिकृत (authorized) करने का काम नेटवर्क में स्थित कंप्यूटर यानी nodes के द्वारा और nodes के सर्वसम्मती (Consensus) से किया जाता हैं. सर्वसम्मती का मतलब हैं की अधिकांश nodes को सहमत होना  होगा की इन दोनों व्यक्तियों की बीच होने बाली लेनदेन बैध हैं.

जो लोग (या miners) इस nodes या computers के माध्यम से इस लेनदेन की पुष्टि या सत्यापित (verify) करने का काम करते हैं (या Mining करते हैं), उन लोगो को इस काम के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं और इसके रुप में उन्हें कुछ क्रिप्टोकरेंसी दिया जाता हैं. क्यों की इसके लिए उन्हें बहुत ही काम समय के अन्दर एक जटिल गणितीय समस्या (complex mathematical problem) को हल करना होता हैं और जिसके लिए उन्हें बहुत सारे शक्तिशाली कंप्यूटर की ज़रूरत होती हैं और जिसका कंप्यूटिंग पावर भी ज्यादा होता हैं.

जो लोग या miners इस काम को यानी जटिल गणितीय समस्या को सबसे पहले हल करके उस ब्लॉक के लिए एक सही Hash ढूंढ लेते हैं और उस लेनदेन को validate कर लेते हैं, उनको इनाम के तौर पर कुछ Cryptocurrency मिलता हैं. और इस पूरी प्रक्रिया या validation process को Proof of Work कहा जाता हैं.

Step-4 लेनदेन को Validate कर लेने के बादउस ब्लॉक को मौजूदा ब्लॉकचेन में जोड़ दिया जाता हैं, जो पूरी तरह स्थायी (immutable) और अपरिवर्तनीय (unaltrrable) हो जाता हैं. इसके बाद इसे ब्लॉकचेन की नेटवर्क में update कर लिया जाता हैं और इसी तरह दो व्यक्तियों के बीच लेनदेन पूरा होता हैं.

इसी तरह से ब्लॉकचेन तकनीक काम करता हैं. इसमें बताये गए कुछ term जैसे Public key, Private key, Hash आदी के बारेमे नीचे FAQ section में बताया गया हैं.

ब्लॉकचेन के प्रकार

मुख्यत तीन प्रकार के ब्लॉकचेन होते हैं

1- Public blockchain – यह एक प्रकार का खुला स्रोत (open source), बिस्तरित (distributed) और विकेन्द्रीकृत (decentralized) बाला सार्वजनिकब्लॉकचेन यानी बही खाता हैं. जिसका कोई भी नियंत्रक या प्रभारी नहीं होता हैं. इसका मतलब हैं, इस ब्लॉकचेन को कोई भी पढ़, लिख और ऑडिट या समीक्षा कर सकता हैं. इसलिए इसको अनुमति रहित ब्लॉकचेन माना जाता हैं.  

सार्वजनिकब्लॉकचेन का एक आसान सा उदाहारण हैं क्रिप्टोकरेंसी जैसे की Bitcoin. क्यों की यह एक सार्वजनिक नेटवर्क हैं. जिसमे कोई भी शामिल हो सकता हैं और यहाँ पे होने बाली सभी bitcoin की लेनदेन को देख, पढ़ और ट्रैक भी कर सकता हैं.

ExampleBitcoin, Ethereum क्रिप्टोकरेंसी public blockchain की तरह काम करता हैं.

2 – Private blockchain – यह एक प्रकार का निजी संपत्ति की तरह हैं, जिसको किसी व्यक्ति या कोई संगठन द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं औरउनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता हैं की कौन  इसे देख, पढ़ और इसमें लेन-देन कर सकता हैं और सर्वसम्मति प्रक्रिया (consensus process) में भाग ले सकता हैं. इसलिए इसको अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन माना जाता हैं.

Example – Blockstack क्रिप्टोकरेंसी private blockchain की तरह काम करता हैं

3 – Consortium or Federated blockchain – यह एक प्रकार का अर्ध- विकेन्द्रीकृत ब्लॉकचेन के रूप में माना जाता हैं. क्यों की यह public और private ब्लॉकचेन की तरह नहीं हैं, जिसे सभी लोग या कोई एक व्यक्ति के द्वारा नियंत्रित किया जाता हो, बल्कि इसे स्वीकृत प्राप्त व्यक्तियों के द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं. क्यों की पूरे नेटवर्क की सर्वोत्तम लाभ के लिए सभी प्रकार का निर्णय और सर्वसम्मति प्रक्रिया (consensus process) का भार इनके ऊपर रहता हैं. इसलिए एक समूह द्वारा नियंत्रित किया जाने बाला ब्लॉकचेन को consortium या federated ब्लॉकचेन कहा जाता हैं.

Example – Ripple क्रिप्टोकरेंसी Consortium या  Federated blockchain की तरह काम करता हैं.

ब्लॉकचेन तकनीक के फायदे 

ब्लॉकचेन तकनीक इतना चर्चा में इसलिए हैं क्यों की इसके कुछ खास बातें हैं जैसे की  

  • सुरक्षा और अपरिवर्तनीयता (Enhanced Security and Immutability) – ब्लॉकचेन में क्रिप्टोग्राफ़िक अल्गोरिथम का इस्तेमाल किया गया हैं, जिससे की ब्लॉक के स्थित data को कभी बदलाया नहीं जा सकता.  क्यों की ब्लॉकचेन की data किसी server में नहीं रहता बल्कि Nodes में रहता हैं जो कि बहुत सारे computers की एक नेटवर्क होता हैं. इसलिए इसे हैंक करना या data के साथ छेड़खानी करना नामुमकिन हैं.
  • Quick settlement and cost saving – यह तकनीक Decentralized तरीके से काम करता हैं, मतलब इसमें लेन-देन करने के लिए किसी थर्ड पार्टी यानी बैंक की ज़रूरत नहीं पड़ती जिस कारण इसमें लेन-देन बहुत जल्द और लेन-देन की लागत या शुल्क भी बहुत कम लगता हैं.
  • Resistant to Technical failure and malicious attacks – ब्लॉकचेन तकनीक से होने वाली सभी लेन-देन की data किसी Server पे store करके नहीं रखा जाता बल्कि Nodes में रखा जाता हैं जो कि हज़ारों कंप्यूटरों की एक नेटवर्क होता हैं. दुनिया भर में ऐसे बहुत सारे Nodes मौजूद हैं और सभी के पास इसकी data होती हैं. इसलिए इसमें साइबर हमले या हैंक करना और तकनीकी failure न के बराबर होती हैं.
  • Widely applicable technology – अभी के समय में इस तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल cryptocurrencies में किया जा रहा हैं. पर इसका इस्तेमाल और भी बहुत सारे जगह में किया जा सकता हैं जैसे की बैंकिंग सेक्टर, रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग , हेल्थकेयर, गवर्नमेंट और बिज़नेस ऐडमिनिस्ट्रेशन आदी.

ब्लॉकचेन तकनीक के नुकसान

  • बिजली की खपत (Power consumption) – इस तकनीक में electricity यानी बिजली का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होता हैं. क्यों की इस तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल cryptocurrency में हो रहा हैं जैसे की Bitcoin. और उन सभी cryptocurrencies को पाने के लिए mining करना पड़ता हैं जिसके लिए बहुत सारे high power computer की ज़रूरत पड़ती हैं जिनकी कंप्यूटिंग पावर भी बहुत ज्यादा होती हैं इसलिए बिजली की खपत भी बहुत ज्यादा होती हैं.
  • अबैध लेन-देन की समस्या (Illegal transaction issue) – क्यों की यह तकनीक person to person और Decentralized तरीके से काम करता हैं इसलिए इसमें लेन-देन करने वाले के बारेमे पता नहीं चल पाता जिस कारण इसमें अवैध लेन-देन होने की संभावना रहती हैं. 
  • डाटा संशोधन की समस्या (Data modification issue) – इस तकनीक में डाटा संशोधन न हो पाना जहां एक खूबी हैं वही दूसरी तरफ यह एक खामी भी हैं. क्यों की अगर गलती से कोई लेन-देन हो जाता हैं तो उसे रद्द करना या डाटा संशोधन करना न मुमकिन हैं. यह इसलिए हैं क्यों की इस तकनीक को ऐसा बनाया गया हैं जहां एक बार सफल लेन-देन होने के बाद उसे  संशोधन नहीं किया जा सकता.
  • प्राइवेट कुंजी की समस्या (Private key issue) – ब्लॉकचेन तकनीक में एक व्यक्ति की पता यानी user address उसकी Public key से लगाया जाता हैं और उसकी डिजिटल assets यानी डिजिटल संपत्ति को access करने के लिए एक Private key की ज़रूरत पड़ती हैं. इसलिए उस key को भूल जाने या खो जाने पर उसकी डिजिटल संपत्ति खो जाने का ड़र रहता हैं.
  • सुरक्षा का समस्या (Security issue) – यह माना जाता हैं की बाज़ार में जितने भी लेन-देन करने की तकनीक मौजूद हैं उन सभी में से यह तकनीक बहुत ही सुरक्षित हैं. पर कुछ खास परिस्थिति में इस तकनीक की सुरक्षा में समझौता करना पड़ सकता हैं, जैसे की 51% attack. क्यों की यह Nodes के माध्यम से संचालित होता हैं इसलिए अगर कोई 50 प्रतिशत से अधिक  Nodes को कंट्रोल कर लिया या यह सभी Nodes आपस में मिल के कोई फ्रॉड करें तो इसमें डाटा संशोधन किया जा सकता हैं. पर ऐसा कर पाना बहुत ही मुश्किल हैं.   

ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग

क्रिप्टोकरेंसी के अलावा इसको बहुत सारे जगह में भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं जैसे की  

1 – वित्तीय लेन-देन प्रसंस्करण (Financial Transaction processing) – इस तकनीक का इस्तेमाल करके वित्तीय संस्थान जैसे की बैंकों को बहुत फायदा होगा. जैसे की वह अपनी दक्षता यानी efficiency को बढ़ा सकते हैं, लेनदेन की प्रक्रिया यानी sattlement process को बहुत सरल और लोगो के लिए किफायती (cost effective) बना सकते हैं और इसके साथ ही साथ अपना परिचालन लागत यानी operational cost को भी काम कर सकते हैं.

इससे और एक फायदा भी हो सकता हैं जैसे की गैर कानूनी लेनदेन यानी illegal transaction को भी रोका जा सकता हैं.  

2 – पहचान प्रबंधन (Identity management) – सरकारे चाहे वह केंद्र हो या राज्य सरकार, हमारे बहुत सारे व्यक्तिगत data को संभालते हैं. जैसे की अलग अलग व्यक्तिगत पहचान पत्र, जन्म और मृत्यु के साथ ही साथ विवाह प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, जनगणना data आदी. पर कभी-कभी  लोग इसका दुस्र्पयोग भी कर लेते हैं और इसका हैंक होने का भी खतरा रहता हैं.

इसलिए  ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से इन सभी चीजों से बचा जा सकता हैं और इन सभी व्यक्तिगत data को बहुत ही सरल और सुरक्षित तरीके से मैनेज किया जा सकता हैं.

3 – सार्वजनिक रिकॉर्ड (Public records) – सभी सरकारी संस्थान या कार्यालय में सार्वजनिक रिकॉर्ड को फिजिकली एक रिकॉर्ड रुम में रखा जाता हैं, पर वह वक़्त के हिसाब से ख़राब होने  या कभी कभी चोरी होने का ड़र भी रहता हैं. इसलिए इन सभी रिकॉर्ड को सुरक्षित तरीके से ब्लॉकचेन में रखा जा सकता हैं, जहां न तो ख़राब होने का या चोरी होने का खतरा रहता हैं.

4 – Supply chain management – इस तकनीक का बहुत ही अच्छा इस्तेमाल सप्लाई चैन को सही तरीके से मैनेज करने के लिए भी किया जा सकता हैं. एक कंपनी की सफल होने का राज़ उसकी Supply chain network कितना efficient और कितना अच्छे से काम कर रहा हैं उसके ऊपर भी निर्भर करता हैं. इसलिए इस तकनीक की मदद से सप्लाई चैन नेटवर्क को और भी सुरक्षित, दक्ष, error free तरीके से मैनेज किया जा सकता हैं. आज के समय में बहुत बड़ी बड़ी कंपनियां अपने सप्लाई चैन नेटवर्क में ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

5 – स्वस्थ सेवा प्रबंधन (Healthcare management) -स्वस्थ सेवा में भी इसका बहुत उपयोग हो सकता हैं जिससे की स्वस्थ संबंधी सभी रिकॉर्ड, रिपोर्ट, डॉक्यूमेंट को सुरक्षित तरीके से रखा और मैनेज किया जा सकता हैं. जिससे की सभी healcare संस्थान एक दूसरे के साथ सुरक्षित तरीके से एक दूसरे के साथ मिल के काम कर सकते हैं.

कभी कभी लोग रिपोर्ट के साथ छेड़खानी या रिपोर्ट को बदल देते हैं, जिसको इस तकनीक की मदद से छुटकारा पाया जा सकता हैं.

6 – संपत्ति और भूमि प्रबंधन (Property and Land management) – प्रॉपर्टी मैनेजमेंट में भी यह बहुत ही कारीगर साबित हो सकता हैं जैसे की land documents, land records, property registries आदी को स्थायी और सुरक्षित तरीके से रखा जा सकता हैं. जिससे लो इसमें होने वाली धोखाधड़ी से लोगों को बचाया जा सके.

हमारे देश में महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश Land records को मैनेज करने के लिए इस ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल के बारेमे सोच रहे हैं.

इन सभी के साथ ही साथ और भी बहुत सी जगह हैं जहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता हैं जैसे की

  • साइबर सुरक्षा (Cyber security)
  • जन सहयोग (Crowdfunding)
  • शिक्षा क्षेत्र (Academic/Education)
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग (E-Voting)
  • सामुदायिक सेवा (Community service)  आदी.

FAQs of Blockchain | ब्लॉकचेन से जुडी कुछ सवाल और जवाब

Q1 – ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में ब्लॉक का क्या मतलब हैं.

Ans – जिस तरह एक ट्रेन बहुत सारे डिब्बे को लेकर बनता हैं ठीक उसी तरह ब्लॉकचेन भी बहुत सारे ब्लॉक को लेकर बनता हैं. हर एक ब्लॉक में रेकॉर्ड्स (जैसे की लेनदेन) को रखा जाता हैं, जिसे कभी मिटाया और बदलाया नहीं जा सकता हैं और जिसे क्रिप्टोग्राफ़िक अल्गोरिथम के मदद से सुरक्षित तरीके से ब्लॉकचेन की डेटाबेस में रखा जाता हैं.

हर एक ब्लॉक में लेनदेन की जानकारी के साथ ही साथ पिछला ब्लॉक का हैंश (hash), समय चिन्ह (timestamp) और उस ब्लॉक का हैंश (hash) भी रहता हैं.

Q2 – Genesis block क्या हैं.

Ans -किसी भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का पहला ब्लॉक को Genesis block कहा जाता हैं.

इस ब्लॉक के आगे कोई भी ब्लॉक नहीं हैं इसलिए इसको जीरो ( 0 ) ब्लॉक भी कहा जाता हैं

Q3 – ब्लॉकचेन में कौन सी क्रिप्टोग्राफ़िक अल्गोरिथम का उपयोग किया जाता हैं

Ans – ब्लॉकचेन में SHA-256 hasing अल्गोरिथम का उपयोग किया जाता हैं. इसको अमेरिका का नेशनल सीक्यूरिटी एजेंसी के द्वारा विकसित किया गया हैं.

(हैंश (Hash) क्या हैं – जिस तरह हर व्यक्ति का फिंगर प्रिंट अलग अलग होता हैं, उसी तरह हर ब्लॉक का भी एक unique पहचान होता हैं जिसे हैंश (Hash) के माध्यम से पता लगाया जाता हैं. हैंश एक 64 डिजिट यानि नंबर का एक alphanumeric कोड़ हैं जिसमें सिर्फ numbers और letters का इस्तेमाल किया जाता हैं और इसे SHA – 256 अल्गोरिथम यानी क्रिप्टोग्राफ़िक अल्गोरिथम का उपयोग करके प्राप्त किया जाता हैं.)   

Q4 – Proof of Work और Proof of Stake में अंतर क्या हैं.

Ans – ब्लॉकचेन में होने बाली सभी लेनदेन की पुष्टि करने के लिए जटिल गणितीय समस्या का हल करना पड़ता हैं जिसे mining कहा जाता हैं और जो लोग इस काम के करते हैं उन्हें miners कहा जाता हैं. और इस काम के लिए उन्हें कुछ crypto-coin मिलता हैं और इस पूरी प्रोसेस को Proof of Work कहा जाता हैं. इस काम को करने के लिए बहुत सारे शक्तिशाली कंप्यूटर यानी nodes का एक नेटवर्क की ज़रूरत पड़ती हैं जिसके लिए बहुत उर्जा की भी खपत होती हैं.

इसलिए इस काम को आसान और उर्जा की खपत को कम करने के लिए Proof of Stake का प्रचलन किया गया जो Proof of Work का ही एक विकल्प हैं. पर इसमें एक बदलाब किया गया की जो Miners जिस भी कॉइन की लेनदेन की पुष्टि करते हैं उस काम को करने के लिए उनके पास भी उस कॉइन का होना अनिबार्य हैं. इससे जिस miners के पास उस कॉइन नहीं होगा वह इस काम को नहीं करेगा जिससे की Consensus का जल्द से जल्द होगा और इसके साथ ही साथ उर्जा की खपत भी काम होगा.

Q5 – Public blockchain और Private blockchain में क्या अंतर हैं.

Ans – Public blockchain बिकेन्द्रिकृत यानी decentralized तरीके से काम करता हैं, वही दूसरी तरफ Private blockchain केन्द्रिकृत यानी centralized तरीके से काम करता हैं.

इसका मतलब हैं public blockchain को किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा रहा जिससे की इस ब्लॉकचेन की नेटवर्क में कोई भी जुड़ सकता हैं, देख सकता हैं, लेनदेन कर सकता हैं वह भी बिना किसी थर्ड पार्टी की मदद से.

वही दूसरी तरफ private blockchain को एक व्यक्ति या संगठन द्वारा नियंत्रित किया जाता हैं और उसमे जुड़ने, लेनदेन करने के लिए अनुमती की ज़रूरत पड़ती हैं.

उदाहरण के स्वरुप देखे तो Bitcoin एक Public blockchain की तरह काम करता हैं और blockstack coin एक Private blockchain की तरह काम करता हैं.

Q6 – Public key cryptography और Private key cryptography में क्या अंतर हैं.  

Ans – Public key और Private key क्रिप्टोग्राफ़ि की मदद से लेनदेन यानी transaction को Encrypt और Decrypt किया जाता हैं. मतलब जब एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के साथ लेनदेन करता हैं तब वह व्यक्ति अपना Private key का इस्तेमाल करके उस लेनदेन को encrypt करके दूसरे व्यक्ति के Public key में भेज देता हैं.

जिसे ब्लॉकचेन नेटवर्क में सभी देख सकते हैं, पर उस दोनों व्यक्ति के बारेमे यानी उनकी पहचान के बारेमे किसीको पता नहीं चल पाता. वही दूसरा व्यक्ति अपनी Public key में आया हुआ transaction को अपनी Private key का इस्तेमाल करके Decrypt करके देख सकता हैं और उस लेनदेन को पूरा कर सकता हैं.

Q7 – ब्लॉकचेन में Mining का क्या मतलब हैं.

Ans – ब्लॉकचेन में होने वाली लेनदेन को validate या authenticate करने का काम को माइनिंग (Mining) कहा जाता हैं. validate या authenticate करने का काम ब्लॉकचेन नेटवर्क में स्थित nodes यानी कंप्यूटर के मदद से किया जाता हैं और जो लोग इसको operate करते हैं उन्हें Miners कहा जाता हैं. और इस काम के लिए उन्हें क्रिप्टो कॉइन मिलता हैं.

Q8 – भारत का पहला ब्लॉकचेन जिल्ला कौनसा हैं.

Ans – भारत का पहला ब्लॉकचेन जिल्ला तेलंगाना राज्य में होगा जो हैंदराबाद के अन्दर स्थित होगा. और इसके लिए तेलंगाना ने Tech Mahindra के साथ एक समझोते (agreement) पर हस्ताक्षर भी किये हैं और एक ड्राफ्ट पलिसी का भी गठन किया हैं जिसका नाम हैं “Telangana governments draft Blockchain policy”.

इस पलिसी के हिसाब से तेलंगाना पुरे देश में अपने आपको ब्लॉकचेन की राजधानी के रूप में स्थापित करना चाहती हैं और जो Firms और Startup इसके ऊपर काम करना चाहते हैं उनको रियायती दरों पर भूमि के साथ ही साथ रिसर्च के लिए फंडिंग देने का भी कहा गया हैं.

ब्लॉकचेन तकनीक का भाबिस्य | Future of Blockchain Technology

ब्लॉकचेन आज के समय में बहुत ही क्रांतिकारी तकनीक हैं इसमें कोई शक नहीं हैं और आने वाले समय में इसका उपयोग हर जगह में देखने को मिल जाएगा और पारंपरिक ब्याबसायिक प्रक्रियाओं में भी क्रांति लाएगा. पर क्यों की यह एक नया तकनीक हैं इसलिए इसको लेकर कुछ वादविबाद भी चल रहा हैं. जहां एक और कुछ लोग इसकी भाबिस्य में संभावनाओं के देख कर इसके पक्ष में हैं तो कुछ इसके बिपक्ष में.

पर इन सभी वादविबाद के बिच जिस तरह यह तकनीक उभर के आया हैं और जिस तरह से  लोग इस पर दिलचस्पी दिखा रहे हैं इसको देख कर अब बिश्व के हर छोटे बड़े देश, बैंक, कंपनियां इसको अब नजर अंदाज नहीं कर पा रहे हैं और इसके ऊपर काम करना भी चालू कर दिए हैं.

बहार के बहुत सारे देश इसके ऊपर काम कर रहे हैं और इस तकनीक को अपना भी रहे हैं जैसे की Dubai, Singapore इन दोनों देशो ने अपने बैंकिंग, शिक्षा, और सरकारी काम काज में इसको शामिल कर लिया हैं. इनके साथ ही साथ अन्य कई और देश जैसे की Switzerland, South Korea, United Kingdom आदी विकसित देश भी इस तकनीक को अपने काम में इस्तेमाल कर सहे हैं.

इन सभी में हमारा देश भी पीछे नहीं हैं. हमारे यहा महाराष्ट्र ने अपनी मोटर बाहन पंजीकरण, Land records, सप्लाई चैन में इस तकनीक को इस्तेमाल करने का योजना कर रहा हैं. दूसरा आंध्रप्रदेश भी अपने Land records को सही तरीके से मैनेज करने के लिए ब्लॉकचेन का इस्तेमाल करने का सोचा हैं. और भी कई राज्य जैसे की उत्तरप्रदेश, तेलंगाना भी ब्लॉकचेन को इस्तेमाल करने का सोच रहे हैं.

World Economic Forum यानी बिश्व आर्थिक मंच का अनुमान हैं की 2025 तक Global GDP का 10 प्रतिसत ब्लॉकचेन में stored होके रहेगा. इसलिए ब्लॉकचेन तकनीक का भाबिस्य बहुत ही उज्वल हैं.

मुझे आशा हैं की मेंरे द्वारा लिखा गया यह पोस्ट जिसका शीर्षक हैं “ब्लॉकचेन तकनीक क्या हैं और ब्लॉकचेन तकनीक कैसे काम करता हैं” आप लोगों को ज़रूर अच्छा लगा होगा और ब्लॉकचेन तकनीकके बारेमे कुछ जानने को मिला होगा.

अगर आपको इसके बारे में कुछ और जानना हो तो आप मुझे comment या ईमेंल के जरिए बता सकते हैं मुझे उसे जानने में बहुत खुशी होगा. और अगर आपको यह article अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ या facebook, instagram में शेयर करना न भूले.

यहाँ तक पढ़ने के लिए धन्यवाद, आप का दिन शुभ हो.

ईमेल  – hindimation@gmail.com

3 thoughts on “ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या हैं in hindi”

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